भारत| भारत देश का किसान| खेती-बाड़ी खेत खलिहान|
वैसे तो हमारा देश महान संस्कृति वाला देश हैं, हमारे देश को कृषि प्रधान देश कहा जाता है जहां पर बड़े पैमाने पर खेती की जाती हैं लेकिन आज इस देश के किसान की जो हालत हो गई हैं उसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं|
#farmars
हमारा भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है| और कुछ समय बाद भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन जाएगा|
लेकिन इसका फायदा क्या हुआ आज भी इस देश का किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं|
#indian_agriculture
भारत की अर्थव्यवस्था तो लगातार बढ़ रही है लेकिन इस देश के किसान की आय क्यों नहीं बढ़ रही है|
क्या इस देश की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का फायदा इस देश के किसान को नहीं मिल पाएगा| या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि इस देश की सरकारें किसान को फायदा पहुंचाना ही नहीं चाहती हैं|
कहीं इसके पीछे किसानों की खेती और किसानों के खिलाफ कोई गहरा षड्यंत्र तो नहीं चल रहा है|
आज सब कुछ महंगा है| सिर्फ किसान, उसकी खेती, और उसके द्वारा उगाई जा रही फसलें सबसे सस्ती|
जो फैसले किसान अपने खेतों से उगाता है, उन्हें मंडी में बेचता है| और उन्हीं चीजों के भाव मार्केट में आने के बाद 2 से 3 गुना तक बढ़ जाते हैं|
ऐसा क्यों हो रहा है आखिर किसान को फायदा क्यों नहीं पहुंचाया जा रहा है|
हम आपको यहां पर कुछ ऐसे उदाहरण भी बताने वाले हैं जिन्हें पढ़कर आपको यह यकीन हो जाएगा कि किसान,उसकी खेती और उसकी फसलें सबसे सस्ती हैं|
#किसान
आज भारत देश के किसान को तो बस एक ही बात घटा रखी है कि कर्म किए जा फल की चिंता मत कर पर जब बात सेवा के बदले मेवा यानी फल की आती है तो वह औरों के ही हिस्से में आता है| किसान के हिस्से में कभी नहीं आता है कहने को तो हमारा देश कृषि प्रधान देश है पर इस देश के प्रधान गैर कृषक बनते हैं|
सोचने वाली बात है
आज हमारे देश में 1 लीटर पानी की बोतल ₹20 में मिल रही है किसी को दिक्कत नहीं है|
50 ग्राम आलू से बना चिप्स ₹20 में किसी को कोई दिक्कत नहीं है|
1 kg टमाटर से बनी टोमेटो सोस की बोतल ₹100 में मिल रही है किसी को कोई दिक्कत नहीं है|
डॉक्टर शक्ल देखने के 500 ले लेते हैं यानी इंट्री फीस किसी को कोई दिक्कत नहीं है|
स्कूलों में फीस मनमानी लेते हैं किसी को कोई दिक्कत नहीं है|
दुकानों में मनमाने दाम लिखे होते हैं और ऊपर से फिक्स प्राइस लिखा होता है किसी को कोई दिक्कत नहीं है|
लेकिन किसान का गेहूं ₹3000 क्विंटल दूध ₹60 लीटर बिकने की बात चलती है तो बयान आता है कि जनता खाएगी क्या|
आज इस देश के अंदर किसान के खिलाफ ऐसी व्यवस्थाएं बना दी गई है कि व्यापारियों को और पूंजी पतियों को मिले तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन देश के अन्नदाता को मिलने लगे तो देश के लोगों को दर्द होने लगता है|
आखिर किसान के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है इस देश के लोगों द्वारा यह समझ से परे हैं|
हम अंत में सिर्फ इतना ही कहना चाहेंगे देश की जनता से अगर आपने इस देश के किसान को बचाने में उसकी खेती को बचाने में मदद नहीं की तो आने वाले समय में ना तो खेती बचेगी ना किसान बचेगा और उस दिन आपका पेट कौन भरेगा|
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